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अपने मंगल व शुक्र को ठीक करके संबंधों में सुधार करें|

आनंददायक सामंजस्यपूर्ण संबंधों की प्राप्ति हेतु वार्षिक कार्यक्रम

31 मई 2018 को सांयकाल 6:00 बजे (भारतीय मानक समयानुसार) तक पंजीकरण
करवाकर एक बार के भुगतान हेतु विकल्प पर 30% व तिमाही भुगतान के विकल्प पर
20% की छूट प्राप्त करें| साथ ही व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने तथा घरेलू संबंधों में सद्भाव व शुभता की स्थापना हेतु 2 दुर्लभ अधिलाभांश अनुष्ठानों का लाभ उठाएं|
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“डॉ. पिल्लै- “चाहे आर्थिक समस्या है, संबंधों की समस्या है, या एक स्वास्थ्य समस्या है, सब कुछ ठीक करने योग्य होता है। अगर ग्रहों की स्थिति बुरी हो तो भी किसी को कष्ट सहने की जरूर”

संबंध: जीवन का आवश्यक अंग

Relationships

प्रेमपूर्ण संबंध, महान भागीदारी व प्रतिबद्ध सभाओं की सकारात्मक गतिशील शक्ति जीवन में सबसे यादगार और सबसे सुखद क्षणों में से एक है| जब संबंध फायदेमंद होते हैं तब वे बड़े सामाजिक परिवर्तन, नया सृजन, नया परिवार, संपन्न व्यवसाय व स्थायी प्रसन्नता प्रदान कर सकते हैं। इसका विपरीत भी उतना ही सही है। लगभग सभी ने बुरे संबंधों का अनुभव किया है जो हमारी ऊर्जा, उत्साह व स्वास्थ्य का नाश कर देते हैं। हम इस महत्वपूर्ण संसाधन का उपयोग कैसे कर सकते हैं तथा अपने संबंधों को बुरे अनुभवों के बजाय प्रेमपूर्ण, आनंददायक व सहायक अनुभवों में किस प्रकार बदल सकते हैं?

इसके लिए कई साधन मौजूद हैं लेकिन अपने ग्रहों को ठीक करना सबसे उत्तम शुरुआत है| जैसा कि डॉ. पिल्लै कहते हैं हमें ज्योतिष की आवश्यकता यह बताने के लिए नहीं है कि हमारे ग्रह कितने ख़राब हैं बल्कि यह जानने के लिए है कि उन्हें किस प्रकार ठीक किया जाए। आपकी जन्मकुंडली का 7 वां भाव आपको अपने संबंधों की जानकारी देगा| शुक्र व मंगल ग्रह भी प्रमुख संकेतक हैं। लोगों को जीवन में वास्तविक परिवर्तन का अनुभव कराने के लिए प्रामाणिक वैदिक प्रौद्योगिकी का आयोजन करने में एस्ट्रोवेद अग्रणी है। अब हमने आपके संबंधों से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के लिए एक व्यापक वार्षिक कार्यक्रम का निर्माण किया है।

मंगल व शुक्र: संबंधों से जुड़े ग्रह

एक लोकप्रिय वाक्यांश है जिसमें कहा गया है कि “पुरुष मंगल ग्रह से व महिलाएं शुक्र ग्रह से संबंधित हैं।” ब्रह्मवैवर्त पुराण नामक प्राचीन ग्रंथ के अनुसार मंगल (जिसे संस्कृत में कुज कहते हैं|) पृथ्वी का पुत्र है। मंगल का संबंध युद्ध से है तथा यह आपकी शारीरिक ऊर्जा, शक्ति, मांसपेशियां, सहनशीलता और रक्त से जुड़ा हुआ है। वैदिक ग्रंथों में शुक्र ग्रह को शुक्र के रूप में वर्णित किया गया है जिसका अर्थ ‘उज्ज्वल / स्पष्ट’ होता है तथा यह पत्नी, विवाह, प्रेम, साझेदारी, सौंदर्य, सहयोग, संतुष्टि व यौन सुख से संबंधित है|

वैदिक ज्योतिष में मंगल व शुक्र संबंध और विवाह से जुड़े मामलों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं| उत्तम वैवाहिक सुख व दीर्घकालिक संबंधों को प्रदान करने में मंगल ग्रह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शुक्र अनुकूल साझेदारी व स्वस्थ घरेलू संबंध प्रदान करता है। जन्मकुंडली में मंगल और शुक्र की स्थिति युगलों के बीच अंतरंगता व सुदृढ़ व्यावसायिक संबंधों को निर्धारित करती है। जन्म कुंडली में मंगल और शुक्र की उत्तम स्थिति के कारण संबंधों में पारस्परिक समझ व सौहार्द स्थापित हो सकता है। यदि जन्मकुंडली में मंगल व शुक्र प्रतिकूल स्थिति में हैं तो यह आपके समस्त संबंधों पर अप्रिय प्रभाव डालता है।

क्या आप अपने संबंधों में इनमें से किसी भी समस्या का अनुभव करते हैं?

  • आपको उचित प्रेमी, साथी या जीवनसाथी नहीं मिल रहे हैं|
  • आप विवाहित हैं परंतु आपका शीघ्र अलगाव हो गया है|
  • आप व आपका जीवनसाथी अलग-अलग शहरों में रहते हैं|
  • आपके अपने साथी के साथ अक्सर झगड़े या विवाद होते हैं|
  • आप अक्सर अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं|
  • एक महिला होने के नाते आपको मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं हैं|
  • आप एक बुरा स्वभाव रखते हैं| (या तो आपको यह बताया गया है या आपने इसे स्वयं पहचान लिया है|)
  • आप अपने संबंधियों/ व्यापारिक सहयोगियों से नहीं मिलते हैं|

मांगलिक(मंगल पीड़ा) होना क्यों कष्टकारी है?

चूंकि मंगल वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक पाप ग्रह है इसलिए यह विनाशकारी भावनाएं उत्पन्न कर सकता है तथा आपको अपने प्रियजन से अलग कर सकता है। यह आवेगी ग्रह आवेशपूर्ण कार्यों के द्वारा आपके संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। बहुत अधिक प्रत्यक्ष व रूखा व्यवहार आपके साथी की भावनाओं को चोट पहुंचा सकता है जो कि बदले में युगलों के बीच दूरी की वजह बन सकता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक व्यक्ति तब मांगलिक होता है जब मंगल ग्रह लग्न, चंद्रमा व शुक्र से पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें व बारहवें भाव में स्थित हो| मांगलिक दोष असंतोषजनक संबंध, संबंध विच्छेद व अलगाव का कारण बन सकता है। आपकी जन्म कुंडली में उपरोक्त भावों में से किसी भी भाव में मंगल ग्रह की स्थिति अल्पकालिक संबंध या युगलों के रूप में अंतरंगता की कमी प्रदान कर सकती है।

भाव कारकत्व मांगलिक दोष का प्रभाव
प्रथम भाव निजता व रवैया जिद्दी, आवेगपूर्ण व उग्र व्यवहार
द्वितीय भाव परिवार व प्रसन्नता मौखिक द्वंद्वयुद्ध, साथियों के बीच ग़लतफ़हमी
चतुर्थ भाव घरेलू वातावरण में असामंजस्य आक्रमण, अशांत घरेलू जीवन, लगातार झगड़े
सप्तम भाव विवाह और साथी जीवनसाथी के साथ मतभेद
अष्टम भाव जीवनसाथी का सौभाग्य जीवनसाथी की शीघ्र मृत्यु, दुर्घटनाएं, ससुराल पक्ष के साथ समस्याएं
द्वादश भाव युगलों के बीच दाम्पत्य सुख विवाह में शत्रुता व अविश्वास, कुछ लोगों के लिए दैनिक जीवन जीना कठिन हो जाता है|
उपरोक्त नियम के कुछ अपवाद हैं। हालांकि अपवादों में से कोई एक भी मौजूद होने के बावजूद उपचार करने की सिफारिश की जाती है।

यह समय आपके संबंधों को सुधारने हेतु उपयुक्त है|

Mars entered Capricorn

2 मई 2018 को मंगल ने मकर राशि में प्रवेश किया है| यह इस ग्रह की सबसे प्रभावशाली स्थिति है तथा मंगल इस राशि में 6 नवंबर 2018 तक रहेगा| यह ग्रह मकर राशि में बहुत सहज महसूस करता है क्योंकि मकर राशि दृढ़ता व लक्ष्य प्राप्ति से संबंधित है। यह ऊर्जावान ग्रह मकर राशि में उच्च का होता है तथा अगले छह माह(ठीक 189 दिन) तक इसी राशि में रहेगा|

यह अवधि मंगल ग्रह की उर्जा द्वारा संबंधों से जुड़े विवादों को हल करने के लिए सबसे उत्तम समय है। मंगल केतु के साथ मकर राशि में रहेगा। यह ग्रहीय युति इस आवेगी ग्रह को स्थिर व केंद्रित रखती है| मकर राशि में यह युति आपके व्यावहारिक व यथार्थवादी लक्ष्यों को निर्धारित करने में भी मदद कर सकती है।

संबंधों को सुधारने हेतु इस एक वर्षीय कार्यक्रम में होने वाले अनुष्ठानों की व्याख्या

Live Astrology Consultation

3 बार 30 मिनट के सीधे प्रसारण द्वारा ज्योतिष परामर्श(प्रत्येक 4 माह में एक बार)

इस सेवा में आपको हमारे सुदक्ष ज्योतिषी द्वारा अपने संबंधों के बारे में और अधिक जानकारी पाने तथा मंगल ग्रह की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए व अपने संबंधों को सुदृढ़ बनाने के लिए यंत्र (तांबे की पत्ती पर अंकित पवित्र ज्यामितीय प्रतिलिपि) के प्रयोग हेतु एक व्यक्तिगत ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त होगा|

Aikyamatya Pushpanjali

केरल शक्तिस्थल पर 12 दिवसीय ऐक्यमत्य पुष्पांजलि अनुष्ठान(12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार)

पारंपरिक पूजा पद्धति के अनुसार इस विशेष पूजा-अर्चना को केरल शक्तिस्थल पर पुष्पार्पण व ऐक्यमत्य सूक्तम स्तोत्र के मंत्रोच्चारण द्वारा संपन्न किया जाता है| इस पूजा-अर्चना द्वारा आपके संबंध सुदृढ़ बन सकते हैं तथा रिश्तों में एकता बढ़ती है|

Lord Ganesha

एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में समस्त मंगलवारों को भगवान गणेश के निमित लाल पुष्प द्वारा 52 दिवसीय पूजा

अर्चना- पवित्र ग्रंथों के अनुसार मंगलवार के दिन लाल पुष्प द्वारा भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से आप संबंधों में चल रही बाधाओं से मुक्त हो सकते हैं तथा आपको समग्र सफलता का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है|

Muruga Pooja

भगवान मुरुगा के शक्तिस्थल में षष्ठी तिथि पर 24 दिवसीय मुरुगा पूजा (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में दो बार)

भगवान मुरुगा मंगल ग्रह के अधिपति देव हैं| ऐसा माना जाता है कि षष्ठी तिथि पर भगवान मुरुगा के शक्तिस्थल पर इस विशेष पूजा-अर्चना द्वारा आप मंगल ग्रह के दुष्प्रभावों से बच सकते हैं जो कि प्रत्यक्ष रूप से आपके समस्त संबंधों को प्रभावित करता है तथा आपको अच्छे स्वास्थ्य व उत्तम जीवनी शक्ति की प्राप्ति हो सकती है|

Hanuman Pooja

भगवान हनुमान के शक्तिस्थल पर मूल नक्षत्र दिवस पर 12 दिवसीय हनुमान पूजा (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार)

वैदिक ज्योतिषी मंगल ग्रह के दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए हनुमान जी से संबंधित उपचार निर्धारित करते हैं| ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी के जन्म नक्षत्र दिवसों पर उनके निमित पूजा-अर्चना करने से मंगल ग्रह की पीड़ा में कमी आ सकती है तथा सौहार्दपूर्ण संबंधों को बढ़ावा मिलता है|

Mars Pooja

एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में समस्त मंगलवारों को 52 दिवसीय मंगल पूजा

मंगल ग्रह मंगलवार का अधिपति है तथा इस दिन मंगल ग्रह के निमित पूजा-अर्चना करने से इसके सकारात्मक प्रभावों में वृद्धि हो सकती है तथा संबंधों में चल रही समस्याओं को दूर करने में सहायता मिल सकती है|

Uma Maheshwara Pooja

शक्तिस्थल पर 12 दिवसीय उमा महेश्वर पूजा (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार)

भगवान महेश्वर व देवी उमा का मिलन दिव्य प्रेम का प्रतीक है। वैवाहिक समस्याओं को दूर करने, दीर्घायु पाने तथा संबंधों में चल रही समस्याओं को सुलझाने के लिए इस दैवीय युगल के निमित पूजा-अर्चना करना एक पारंपरिक पद्धति है|

Prananatheswarar Powerspot

थिरुमंगलाकुडी के प्राणनाथेश्वर शक्तिस्थल पर 12 दिवसीय पूजा

अर्चना (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार)- शक्तिस्थल से जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के इस प्राणनाथेश्वर रूप के निमित पूजा-अर्चना करने से आपको दीर्घकालिक संबंध, उचित साथी व उत्तम संतान की प्राप्ति हो सकती है तथा ग्रहीय पीड़ा में कमी आ सकती है|

Donating Toor Dal and Red Cloth

12 बार तूर दाल व लाल वस्त्र का दान (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार)

लाल मंगल ग्रह का प्रिय रंग है इसलिए ऐसा माना जाता है कि जरूरतमंद लोगों को तूर दाल व लाल वस्त्रों का दान करने से आपके मांगलिक दोष की पीड़ा कम हो सकती है, वैवाहिक समस्याएं सुलझ सकती हैं, प्रेमपूर्ण संबंधों को बढ़ावा मिल सकता है तथा मंगल ग्रह के दुष्प्रभावों में कमी आ सकती है|

Sumangali Kit to 9 Ladies

9 स्त्रियों को 3 बार सुमंगली साज-सामान का दान (प्रत्येक 4 माह में एक बार)

मान्यता है कि सौभाग्यवती स्त्रियों को सुमंगली साज-सामान का दान करने से आपके संबंध सुदृढ़ व सुरक्षित बनते हैं तथा मांगलिक दोष शांत होता है|

Valli Devayani

एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में षष्ठी तिथि दिवसों पर वल्ली देवयानी सहित सुब्रमन्य स्वामी के निमित चंदन लेप द्वारा 24 दिवसीय जलाभिषेक अनुष्ठान (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार)

षष्ठी तिथि पर भगवान मुरुगा के निमित चंदन लेप द्वारा जलाभिषेक अनुष्ठान करने से संबंधों में चल रही बाधाओं का शमन हो सकता है व सौहार्दपूर्ण और प्रेमपूर्ण संबंधों की प्राप्ति हो सकती है|

Mangalya Archana

केरल शक्तिस्थल पर देवी भगवती के निमित मांगल्य अर्चना व थाली चर्थल अनुष्ठान

मांगल्यम या थाली भारत में एक विवाहित महिला के गले में पहना जाने वाला एक दिव्य वैवाहिक धागा है जो पति के प्रति उसके प्रेम का प्रतीक होता है| शक्तिस्थल से जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार मांगल्य अर्चना व थाली चर्थल अनुष्ठान (देवी भगवती के गले में पवित्र वैवाहिक धागा बांधने से संबंधित अनुष्ठान) मांगल्य अर्चना और थाली चर्थल (देवी भगवती की गर्दन के चारों ओर वैवाहिक धागे बांधना) द्वारा आपको उचित साथी प्राप्त हो सकता है या आपके जीवनसाथी का कल्याण हो सकता है तथा आप दोनों के बीच प्रेम की वृद्धि हो सकती है|

Dhambadi Pooja

2 बार धमबड़ी पूजा (वर्ष में दो बार)

‘धमबड़ी’ का अर्थ युगल है| एक बुजुर्ग युगल को भगवान शिव व देवी पार्वती का रूप मानते हुए उनकी पूजा-अर्चना करना एक पारंपरिक पूजा पद्धति है जिससे आपको दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा विपत्तियों से आपके संबंधों की रक्षा होती है|

Goddess Parvati

देवी पार्वती के शक्तिस्थल पर थाई शुकवार दिवस पर पूजा-अर्चना

देवी पार्वती को शक्ति का प्रतीक माना जाता है तथा वे एक प्रसन्न विवाहित स्त्री के गुणों को दर्शाती हैं। माना जाता है कि तमिल माह थाई में आने वाले शुक्रवार को देवी माँ की विशेष पूजा-अर्चना करने से आपको एक प्रेमपूर्ण, दीर्घकालिक व बाधा मुक्त वैवाहिक जीवन की प्राप्ति हो सकती है|

Goddess Durga

देवी दुर्गा के शक्तिस्थल पर आदि शुक्रवार दिवस पर पूजा-अर्चना

तमिल माह आदि देवी का प्रिय माह है| माना जाता है कि आदि शुक्रवार को देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से बाहरी व आंतरिक दोनों प्रकार की नकारात्मकता का शमन होता है तथा युगलों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को बढ़ावा मिलता है।

Individual Homa for Mars and Venus

एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में मंगल ग्रह के निमित 12 बार व्यक्तिगत यज्ञ (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार)

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह संबंधों और विवाह के लिए ज़िम्मेदार है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार मंगल ग्रह के निमित एक पवित्र यज्ञ अनुष्ठान करने से संबंधों में चल रही समस्याओं में सुधार होता है तथा युगलों को एक सौहार्दपूर्ण जीवन की प्राप्ति हो सकती है|

Samvada Suktam Homa

एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में शुक्र ग्रह के निमित 12 बार व्यक्तिगत यज्ञ (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार)

वैदिक ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह प्राकृतिक राशि चक्र के संबंधों से जुड़े सप्तम भाव का स्वामी है। आपका संबंध चाहे पेशेवर, व्यावसायिक, मित्रता, साझेदारी आदि किसी भी रूप में हो, शुक्र ग्रह इनमें एक प्रमुख भूमिका निभाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार शुक्र ग्रह के निमित एक पवित्र यज्ञ अनुष्ठान करने से आपको सौहार्दपूर्ण संबंध, खुशहाल रिश्ते, प्रेम, सौंदर्य व समृद्धि की प्राप्ति होती है|

केरल शक्तिस्थल पर 12 बार व्यक्तिगत संवाद सूक्तम यज्ञ (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार)

प्राचीन संवाद सूक्तम स्तोत्र का विवरण ऋग्वेद में पाया जाता है जो चारों वेदों में से सबसे प्राचीन है। यज्ञ अनुष्ठान के दौरान इस पवित्र स्तोत्र के मंत्रों का उच्चारण करने से लोगों को एक समान लक्ष्य के लिए मिलकर काम करने के लिए एकत्रित किया जा सकता है। पवित्र ग्रंथों के अनुसार इस यज्ञ अनुष्ठान में भाग लेने से आपको शांति, एकता, उत्तम संबंध, प्रसन्नता व सफलता आदि की प्राप्ति हो सकती है|

Basic Yearlong Fix Your Relationships Program

संबंधों को सुधारने हेतु वार्षिक मौलिक कार्यक्रम

  • आपको 30 मिनट के सीधे प्रसारण द्वारा ज्योतिषीय परामर्श(12 माह में एक बार) प्रदान किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से केरल शक्तिस्थल पर 12 दिवसीय ऐक्यमत्य पुष्पांजलि अनुष्ठान(12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में समस्त मंगलवारों को भगवान गणेश के निमित लाल पुष्प द्वारा 52 दिवसीय पूजा-अर्चना की जाएगी|
  • आपकी तरफ से भगवान मुरुगा के शक्तिस्थल में षष्ठी तिथि पर 24 दिवसीय मुरुगा पूजा (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में दो बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ से भगवान हनुमान के शक्तिस्थल पर मूल नक्षत्र दिवस पर 12 दिवसीय हनुमान पूजा (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ्र से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में समस्त मंगलवारों को 52 दिवसीय मंगल पूजा की जाएगी
  • आपकी तरफ से शक्तिस्थल पर उमा महेश्वर पूजा (एक बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ से थिरुमंगलाकुडी के प्राणनाथेश्वर शक्तिस्थल पर 12 दिवसीय पूजा-अर्चना (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ से 12 बार तूर दाल व लाल वस्त्र का दान (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ्र से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में समस्त मंगलवारों को मंगल ग्रह की होरा में 52 दिनों तक मिट्टी से निर्मित दीप प्रज्वलित किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से 9 स्त्रियों को एक सुमंगली साज-सामान का दान किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में षष्ठी तिथि दिवसों पर वल्ली देवयानी सहित सुब्रमन्य स्वामी के निमित चंदन लेप द्वारा 24 दिवसीय जलाभिषेक अनुष्ठान (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में दो बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में मंगल ग्रह के निमित 3 बार सामूहिक यज्ञ (3 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में शुक्र ग्रह के निमित 3 बार सामूहिक यज्ञ (3 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से केरल शक्तिस्थल पर 3 बार सामूहिक संवाद सूक्तम यज्ञ (3 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|

वैदिक ज्योतिष में मंगल व शुक्र संबंध और विवाह से जुड़े मामलों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं| उत्तम वैवाहिक सुख व दीर्घकालिक संबंधों को प्रदान करने में मंगल ग्रह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शुक्र अनुकूल साझेदारी व स्वस्थ घरेलू संबंध प्रदान करता है। अपने संबंधों से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने, युगलों के बीच आत्मीयता बढ़ाने और सुदृढ़ व्यावसायिक संबंध स्थापित करने के लिए एस्ट्रोवेद के मौलिक वार्षिक कार्यक्रम में अवश्य भाग लें।

आप क्या प्राप्त करेंगे?

आपको अभिमंत्रित उत्पादों के साथ-साथ पवित्र यज्ञ से प्राप्त विभूति व लाल सिंदूर प्रदान किए जाएंगे। जो कि इस पवित्र अनुष्ठान द्वारा सिद्ध होंगे। इस पवित्र विभूति व सिंदूर को अपने मंदिर अथवा ध्यान कक्ष में रखें तथा अपनी दैनिक पूजा व ध्यान करने के समय इन्हें अपने मस्तक पर धारण करके दैवीय कृपा प्राप्त करें।

डॉ. पिल्लै के अनुसार-

” यह अनुष्ठान हमारे विचारों का कार्बनीकरण कर देता है। कार्बन हमारी सूचनाओं से सम्बंधित सूक्ष्म अनु कण होते हैं। इस कार्बनीकरण प्रक्रिया से प्राप्त पवित्र राख को प्रसाद स्वरुप दिया जाता है। इस प्रसाद स्वरूप पवित्र राख को मस्तक पर धारण करने से आपको दैवीय कृपा प्राप्त होती है।”

कृपया ध्यान दें- इस पूरी अनुष्ठान प्रक्रिया के उपरांत आपको दिए जाने वाले उत्पाद तथा प्रसाद एक सप्ताह के बाद चेन्नई (तमिलनाडु) से भेज दिए जाएंगे। विदेशों में पहुँचाने हेतु कृपया हमें दो से चार हफ़्तों का समय दें।

एक बार में भुगतान हेतु विकल्प

तीन किश्तों में भुगतान हेतु विकल्प

मासिक रूप से भुगतान हेतु विकल्प
Premier Yearlong Fix Your Relationships Program

संबंधों को सुधारने हेतु वार्षिक प्रधान कार्यक्रम

  • आपको 30 मिनट के सीधे प्रसारण द्वारा 2 बार ज्योतिषीय परामर्श(प्रत्येक 6 माह में एक बार) प्रदान किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से केरल शक्तिस्थल पर12 दिवसीय ऐक्यमत्य पुष्पांजलि अनुष्ठान(12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में समस्त मंगलवारों को भगवान गणेश के निमित लाल पुष्प द्वारा 52 दिवसीय पूजा-अर्चना की जाएगी|
  • आपकी तरफ से भगवान मुरुगा के शक्तिस्थल में षष्ठी तिथि पर 24 दिवसीय मुरुगा पूजा (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में दो बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ से भगवान हनुमान के शक्तिस्थल पर मूल नक्षत्र दिवस पर 12 दिवसीय हनुमान पूजा (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ्र से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में समस्त मंगलवारों को 52 दिवसीय मंगल पूजा की जाएगी|
  • आपकी तरफ से शक्तिस्थल पर 6 दिवसीय उमा महेश्वर पूजा (6 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ से थिरुमंगलाकुडी के प्राणनाथेश्वर शक्तिस्थल पर 12 दिवसीय पूजा-अर्चना (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ से 12 बार तूर दाल व लाल वस्त्र का दान (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ्र से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में समस्त मंगलवारों को मंगल ग्रह की होरा में 52 दिनों तक मिट्टी से निर्मित दीप प्रज्वलित किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से 9 स्त्रियों को दो बार सुमंगली साज-सामान (प्रत्येक 6 माह में एक बार) का दान किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में षष्ठी तिथि दिवसों पर वल्ली देवयानी सहित सुब्रमन्य स्वामी के निमित चंदन लेप द्वारा 24 दिवसीय जलाभिषेक अनुष्ठान (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में दो बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से धमबड़ी पूजा (वर्ष में एक बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में मंगल ग्रह के निमित 12 बार सामूहिक यज्ञ (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में शुक्र ग्रह के निमित 12 बार सामूहिक यज्ञ (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से केरल शक्तिस्थल पर 12 बार सामूहिक संवाद सूक्तम यज्ञ (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|

वैदिक ज्योतिष में मंगल व शुक्र संबंध और विवाह से जुड़े मामलों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं| उत्तम वैवाहिक सुख व दीर्घकालिक संबंधों को प्रदान करने में मंगल ग्रह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शुक्र अनुकूल साझेदारी व स्वस्थ घरेलू संबंध प्रदान करता है। अपने संबंधों से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने, युगलों के बीच आत्मीयता बढ़ाने और सुदृढ़ व्यावसायिक संबंध स्थापित करने के लिए एस्ट्रोवेद के प्रधान वार्षिक कार्यक्रम में अवश्य भाग लें।

आप क्या प्राप्त करेंगे?

आपको अभिमंत्रित उत्पादों के साथ-साथ पवित्र यज्ञ से प्राप्त विभूति व लाल सिंदूर प्रदान किए जाएंगे। जो कि इस पवित्र अनुष्ठान द्वारा सिद्ध होंगे। इस पवित्र विभूति व सिंदूर को अपने मंदिर अथवा ध्यान कक्ष में रखें तथा अपनी दैनिक पूजा व ध्यान करने के समय इन्हें अपने मस्तक पर धारण करके दैवीय कृपा प्राप्त करें।

डॉ. पिल्लै के अनुसार-

“ यह अनुष्ठान हमारे विचारों का कार्बनीकरण कर देता है। कार्बन हमारी सूचनाओं से सम्बंधित सूक्ष्म अनु कण होते हैं। इस कार्बनीकरण प्रक्रिया से प्राप्त पवित्र राख को प्रसाद स्वरुप दिया जाता है। इस प्रसाद स्वरूप पवित्र राख को मस्तक पर धारण करने से आपको दैवीय कृपा प्राप्त होती है।”

कृपया ध्यान दें- इस पूरी अनुष्ठान प्रक्रिया के उपरांत आपको दिए जाने वाले उत्पाद तथा प्रसाद एक सप्ताह के बाद चेन्नई (तमिलनाडु) से भेज दिए जाएंगे। विदेशों में पहुँचाने हेतु कृपया हमें दो से चार हफ़्तों का समय दें।

एक बार में भुगतान हेतु विकल्प

तीन किश्तों में भुगतान हेतु विकल्प

मासिक रूप से भुगतान हेतु विकल्प
Royal Yearlong Fix Your Relationships Program

संबंधों को सुधारने हेतु वार्षिक राजसी कार्यक्रम

  • आपको 30 मिनट के सीधे प्रसारण द्वारा 3 बार ज्योतिषीय परामर्श(प्रत्येक 4 माह में एक बार) प्रदान किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से केरल शक्तिस्थल पर12 दिवसीय ऐक्यमत्य पुष्पांजलि अनुष्ठान(12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में समस्त मंगलवारों को भगवान गणेश के निमित लाल पुष्प द्वारा 52 दिवसीय पूजा-अर्चना की जाएगी|
  • आपकी तरफ से भगवान मुरुगा के शक्तिस्थल में षष्ठी तिथि पर 24 दिवसीय मुरुगा पूजा (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में दो बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ से भगवान हनुमान के शक्तिस्थल पर मूल नक्षत्र दिवस पर 12 दिवसीय हनुमान पूजा (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ्र से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में समस्त मंगलवारों को 52 दिवसीय मंगल पूजा की जाएगी|
  • आपकी तरफ से शक्तिस्थल पर 12 दिवसीय उमा महेश्वर पूजा (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ से थिरुमंगलाकुडी के प्राणनाथेश्वर शक्तिस्थल पर 12 दिवसीय पूजा-अर्चना (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ से 12 बार तूर दाल व लाल वस्त्र का दान (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ्र से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में समस्त मंगलवारों को मंगल ग्रह की होरा में 52 दिनों तक मिट्टी से निर्मित दीप प्रज्वलित किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से 9 स्त्रियों को तीन बार सुमंगली साज-सामान (प्रत्येक 4 माह में एक बार) का दान किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में षष्ठी तिथि दिवसों पर वल्ली देवयानी सहित सुब्रमन्य स्वामी के निमित चंदन लेप द्वारा 24 दिवसीय जलाभिषेक अनुष्ठान (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में दो बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से केरल शक्तिस्थल पर देवी भगवती के निमित मांगल्य अर्चना व थाली चर्थल अनुष्ठान किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से 2 बार धमबड़ी पूजा (वर्ष में दो बार) की जाएगी|
  • आपकी तरफ से देवी पार्वती के शक्तिस्थल पर थाई शुकवार दिवस पर पूजा-अर्चना की जाएगी|
  • आपकी तरफ से देवी दुर्गा के शक्तिस्थल पर आदि शुक्रवार दिवस पर पूजा-अर्चना की जाएगी|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में मंगल ग्रह के निमित 12 बार सामूहिक यज्ञ (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से एस्ट्रोवेद के उपचारात्मक केंद्र में शुक्र ग्रह के निमित 12 बार सामूहिक यज्ञ (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|
  • आपकी तरफ से केरल शक्तिस्थल पर 12 बार सामूहिक संवाद सूक्तम यज्ञ (12 महीनों के लिए प्रत्येक माह में एक बार) किया जाएगा|

वैदिक ज्योतिष में मंगल व शुक्र संबंध और विवाह से जुड़े मामलों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं| उत्तम वैवाहिक सुख व दीर्घकालिक संबंधों को प्रदान करने में मंगल ग्रह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शुक्र अनुकूल साझेदारी व स्वस्थ घरेलू संबंध प्रदान करता है। अपने संबंधों से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने, युगलों के बीच आत्मीयता बढ़ाने और सुदृढ़ व्यावसायिक संबंध स्थापित करने के लिए एस्ट्रोवेद के राजसी वार्षिक कार्यक्रम में अवश्य भाग लें।

आप क्या प्राप्त करेंगे?

आपको अभिमंत्रित उत्पादों के साथ-साथ पवित्र यज्ञ से प्राप्त विभूति व लाल सिंदूर प्रदान किए जाएंगे। जो कि इस पवित्र अनुष्ठान द्वारा सिद्ध होंगे। इस पवित्र विभूति व सिंदूर को अपने मंदिर अथवा ध्यान कक्ष में रखें तथा अपनी दैनिक पूजा व ध्यान करने के समय इन्हें अपने मस्तक पर धारण करके दैवीय कृपा प्राप्त करें।

डॉ. पिल्लै के अनुसार-

“ यह अनुष्ठान हमारे विचारों का कार्बनीकरण कर देता है। कार्बन हमारी सूचनाओं से सम्बंधित सूक्ष्म अनु कण होते हैं। इस कार्बनीकरण प्रक्रिया से प्राप्त पवित्र राख को प्रसाद स्वरुप दिया जाता है। इस प्रसाद स्वरूप पवित्र राख को मस्तक पर धारण करने से आपको दैवीय कृपा प्राप्त होती है।”

कृपया ध्यान दें- इस पूरी अनुष्ठान प्रक्रिया के उपरांत आपको दिए जाने वाले उत्पाद तथा प्रसाद एक सप्ताह के बाद चेन्नई (तमिलनाडु) से भेज दिए जाएंगे। विदेशों में पहुँचाने हेतु कृपया हमें दो से चार हफ़्तों का समय दें।

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